अमलतास. Powered by Blogger.

बोलता है उदास सन्नाटा

>> Sunday, 10 July 2011

'नज़्म'

बोलता है उदास सन्नाटा
  •     कुमार शिव



रूबरू है शमा के आईना
बंद कमरे की खिड़कियाँ कर दो
शाम से तेज चल रही है हवा



 ये जो पसरा हुआ है कमरे में
कुछ गलतफहमियों का अजगर है
ख्वाहिशें हैं अधूरी बरसों की
हौसलों पर टिका मुकद्दर है



रात की सुरमई उदासी में
ठीक से देख मैं नहीं पाया
गेसुओं से ढका हुआ चेहरा
आओ इस काँपते अँधेरे में
गर्म कहवा कपों में भर लें हम
मास्क चेहरों के मेज पर रख दें
चुप रहें और बात कर लें हम



महकती हैं बड़ी बड़ी आँखें
हिल रहे हैं कनेर होटो के
बोलता है उदास सन्नाटा






8 comments:

nilesh mathur 10 July 2011 at 19:46  

बहुत सुन्दर, बेहतरीन!

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक 10 July 2011 at 20:47  

बहुत सुंदर अभिव्यक्ति से रूबरू करवाने के लिए आपका आभार.

संगीता स्वरुप ( गीत ) 10 July 2011 at 23:27  

बहुत सुन्दर रचना ..आभार



कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

Dr. Zakir Ali Rajnish 10 July 2011 at 23:40  

सचमुच, कभी कभी सन्‍नाटा भी बोलने लगता है।

------
TOP HINDI BLOGS !

प्रवीण पाण्डेय 11 July 2011 at 09:02  

स्तब्धता का शोर कह दें इसे।

अरुण चन्द्र रॉय 11 July 2011 at 15:55  

बहुत सुन्दर गीत !

शारदा अरोरा 11 July 2011 at 16:36  

इक अजब सी कशिश है कविता में ..

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक 15 July 2011 at 20:21  

आज यह क्या हुआ. उपरोक्त ब्लॉग की उपरोक्त पोस्ट का लिंक क्यों नहीं दिख रहा है.

Post a Comment

  © Blogger template Werd by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP